भीगे जा रहे हैं कब से कितनी बारिशों में,
जाने कब, जाने कौनसी बूँद रुह भीगा जाये….
चखे जा रहें हैँ हर पल इस बेस्वाद जिंदगी का,
जाने कब, जाने कौनसा लम्हा कोई स्वाद जगा जाये!
– Purvi Gokani

भीगे जा रहे हैं कब से कितनी बारिशों में,
जाने कब, जाने कौनसी बूँद रुह भीगा जाये….
चखे जा रहें हैँ हर पल इस बेस्वाद जिंदगी का,
जाने कब, जाने कौनसा लम्हा कोई स्वाद जगा जाये!
– Purvi Gokani